Shwetanshu RanjanMar 16, 20231 min readUntitled"उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये।पयःपानं भुजंगानां केवलं विषवर्द्धनम्।।"अर्थात - "मूर्खों को दिया गया उपदेश उनके क्रोध को शांत न करके और बढ़ाता ही है । जैसे सर्पों को दूध पिलाने से उनका विष ही बढ़ता है ।"
"उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये।पयःपानं भुजंगानां केवलं विषवर्द्धनम्।।"अर्थात - "मूर्खों को दिया गया उपदेश उनके क्रोध को शांत न करके और बढ़ाता ही है । जैसे सर्पों को दूध पिलाने से उनका विष ही बढ़ता है ।"
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