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Writer's pictureShwetanshu Ranjan

Untitled

"उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये।

पयःपानं भुजंगानां केवलं विषवर्द्धनम्।।"



अर्थात - "मूर्खों को दिया गया उपदेश उनके क्रोध को शांत न करके और बढ़ाता ही है । जैसे सर्पों को दूध पिलाने से उनका विष ही बढ़ता है ।"


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