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Writer's pictureShwetanshu Ranjan

जीवन में पिता का महत्व

"पिता धर्म: पिता स्वर्ग: पिता हि परमं तप:।

पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवता:।।"

अर्थात - "पिता धर्म होते हैं, पिता स्वर्ग होते हैं और पिता ही परम तपस्या (श्रेष्ठ) तप होते हैं। पिता को प्रिय होने से अर्थात पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं ।"

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