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Writer's pictureShwetanshu Ranjan

सनातन ज्ञान

"गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणो,बली बलं वेत्ति न वेत्ति निर्बल:।

पिको वसन्तस्य गुणं न वायस:,करी च सिंहस्य बलं न मूषक:॥"

अर्थात - "गुणी ही दूसरे के गुण पहचानता है तथा बलवान ही दूसरे के बल को जानता है। वसंत को कोयल पहचानती है, कौआ नहीं। सिंह के बल को हाथी जानता है, चूहा नहीं।"

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