"लोकयात्रा भयं लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संगतिम्॥"
अर्थात - "जिन स्थानों पर आजीविका न मिले, लोगों में भय, लज्जा, उदारता तथा दान देने की प्रवृत्ति न हो, ऐसे पांच स्थानों को मनुष्य को अपने निवास के लिए नहीं चुनना चाहिए ।"
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