नारभेत कलिं प्राज्ञश्शौष्कवैरं च वर्जयेत्।
अप्यल्पहानिस्सोढव्या वैरेणार्थागमं त्यजेत्॥
(विष्णुपुराण,३/१२/२३)
अर्थात्- विद्वान् व्यक्ति को झगड़े में नहीं पड़ना चाहिए। व्यर्थ वैर से अलग रहना चाहिए। थोड़ी हानि सह ले पर वैर से धन की प्राप्ति हो जाए तो उसे भी छोड़ दे।
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