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Writer's pictureShwetanshu Ranjan

सनातन ज्ञानकोष

"आयुषः क्षण एकोऽपि सर्वरत्नैर्न न लभ्यते।

नीयते स वृथा येन प्रमादः सुमहानहो॥"


अर्थात - "सभी कीमती रत्नों से कीमती जीवन है जिसका एक क्षण भी वापस नहीं पाया जा सकता है । अतः इसे व्यर्थ के कार्यों में खर्च करना बहुत बड़ी गलती है ।"

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