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Writer's pictureShwetanshu Ranjan

सनातन ज्ञानकोष

"यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं वा मन्त्रितं परे।

कृतमेवास्य जानन्ति स वै पण्डित उच्यते॥"


अर्थात - "दूसरे लोग जिसके कार्य, व्यवहार, गोपनीयता, सलाह और विचार को कार्य पूरा हो जाने के बाद ही जान पाते हैं, वही व्यक्ति ज्ञानी कहलाता है ।"

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